1. भोज वृक्ष हिमालय में 4, 500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है।2. भोज वृक्ष हिमालय में ४५०० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है ।3. अब पुराने साधु बाबा etc भोजपत्र (भोज वृक्ष की क्षाल) पर ज्ञान को लिखते थे । 4. इसे सबसे ज्यादा खतरा कांवरियों से है जो गंगोत्री का पानी लेने आते हैं और भोज वृक्ष को नुकसान पहुंचाते हैं । 5. भोज वृक्ष के संरक्षण से जुड़ी हर्षवंती विष्ट का कहना है कि ईधन के लिए इनका दोहन इस खतरे को बढ़ा रहा है।6. इसे सबसे ज्यादा खतरा कांवडियों और पर्यटकों से है, जो गंगोत्री का पानी लेने आते है और भोज वृक्ष को नुकसान पहुंचाते है। 7. भोजपत्र पर लिखा हुआ सैकड़ों वर्षो तक वैसा ही रहता है, लेकिन अफसोस कि वर्तमान में इस भोज वृक्ष गिनती के ही बचे हैं। 8. दरअसल, यात्री और पर्यटक भोजपत्र को अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही कि भोज वृक्ष सिमट गए हैं। 9. भोज वृक्ष के संरक्षण से जुड़ी हर्षवन्ती विष्ट का कहना है कि इंर्धन के लिए भोजवृक्ष की लकड़ी का दोहन इस खतरे को बढ़ा रहा है ।10. भोजपत्र के पेड़ों की अधिकता के कारण ही इस स्थान का नाम भोजवासा पड़ा था, लेकिन वर्तमान में इस जगह भोज वृक्ष गिनती के ही बचे है।